Sunday, June 6, 2010

abki saawan

हृदय का रुख मोड़ देंगे.
मेघ फिर आकर,
धरा को झकझोर  देंगे.

अभी तो है जानलेवा तपन.
धरती बदल जाएगी,
जब आ जायेगा सावन.

अबकी सावन,मोरे पिया आयेंगे.
परदेश में हैं,
आंसू बदलो को मिल जायेंगे.

बुँदे अपने अल्फाज़ कहेंगे.
बात भी सच्ची है,
जेठ को हम कब तक सहेंगे.

हममे से कुछ बूंदों में टहलेंगे.
बातें है जो रुकी हुई,
उनको भी हम कह लेंगे.

4 comments:

  1. good job bhae sahab.
    hindi is amazing........

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  2. hindi is good.........
    amazing.........

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  3. हृदय का रुख मोड़ देंगे.
    मेघ फिर आकर,
    धरा को झकझोर देंगे.

    Sundar rachna.

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