Thursday, July 8, 2010

MERI SAJNI

दुप्पटे की ओट में,
खुद को छिपाए.
इंतज़ार में,
पलकें बिछाए.

मेरी सजनी.

खामोश है वो.
पर दिल बोल रहा हैं.
कुमकुम में
मेरे लिए ही शोर रहा है.

मेहँदी का रंग
भी सूखे जाये.
मेरी यादों को
सीने से लगाये.

मेरी सजनी

मैं दूर बहुत,
पर तू पास है मेरे.
तुझे लेकर,
मेरे सपने है बहुतेरे.

कजरिया वाले
नयनों को भिन्गाये.
सखियों के संग,
मेरे ही लिए गाये.

मेरी सजनी.

2 comments:

  1. दुप्पटे की ओट में,
    खुद को छिपाए.
    इंतज़ार में,
    पलकें बिछाए.

    waah !..Kya baat hai .

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  2. good one. It can be better...... in all other para except the fourth
    मैं दूर बहुत,
    पर तू पास है मेरे.
    तुझे लेकर,
    मेरे सपने है बहुतेरे.
    you were writing from girl side and suddenly one para from your(poet) side is bit odd. Otherwise it's a fantastic first attempt on romantic poem.

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