the first line of this poem is written by my bhaiya n i hav just completed it. it deals with all the childish thoughts that i imagine most of the times............
कभी फुर्सत हो तो बताना,
हम नीले गगन में जायेंगे।
रेनबो होगा हाथो में,
हम रस्सी कूद के आयेंगे।
धरती दिखेगी किल्कारिया मारते,
सूरज चाचू की रौशनी में,
हम चिडियो के संग
मिलकर, खूब गुन्गुनायेगे।
शांझ अधिक हो जाये तो,
हम सितारों से रौशनी चुरायेंगे।
नाचेंगे, गायेंगे, चिल्लायेंगे,
पर मम्मी को नही बताएँगे।
बादल भी हैं बहुत यहाँ।
इनके संग मिलकार
पहले छुपम- छुपाई खेलेंगे
फिर खूब उधम मचाएंगे।
its really nice.
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