Saturday, April 24, 2010

raat tanha hai

दिन की रौशनी में ,
सब दिखता हैं.
रात को देखा ख्वाब भी
दिन को निखरता हैं.

दिन हैं,
कुछ भी कर सकती हु मैं.
उजाले में,
सड़कों  से लड़ सकती  हु मै.

कुछ भी छुपा नही है,
सब तो काम पर हैं.
थके हारो की नज़र,
तो बस शाम पर है.

नदी को तो मतलब नही,
दिन हैं या रात हैं.
सागर तक पहुच जाये
तो कोई बात है.

बादल और सूरज
लड़ रहे हैं.
किस को है फिकर ,
कुछ तो कर रहे हैं.

अस्तित्व का डर है,
सब खुद में मगन है.
बेख़ौफ़, बंजारा ,
तो बस पवन है.

दिन,
दिन कितना मुश्किल है .
पर........रात ,
रात कितनी तनहा हैं.

Monday, April 12, 2010

ख्वाब

हर एक ख्वाब कीमती है,
ख्वाबो का भी अपना आयाम है,
एक ख्वाब में तुम हो,
इठलाती लहरें हैं , हसीं शाम हैं।

ख्वाब तुम्हारे ही लिए है
औरो का क्या काम हैं
तुम पास हो , साथ हो
एक राह , एक मकाम है

ख्वाब की खिरकी पर
आज़ाद पंछी है, लताम हैं।
ख्वाब में ही प्रेम को ढूंढता,
हर अभिलाषित इन्सान हैं।

ख्वाब से विलग सच्चाई हैं
गुरुज़नो का पैगाम है
आज रात कोई ख्वाब नही देखूंगा
कल कुछ ज्यादा ही काम हैं।

Sunday, April 4, 2010

मम्मी

this poem is dedicated to my mother.........

गर्मी की रात में तू पंखा लिए जगी थी,
जब मुझे बुखार की झप्पी लगी थी।
मम्मा, तू तो बस मेरी हैं।

मैंने मारा था बंटी को, गलती मेरी थी।
पर तुझे कौन बताये, तू कितना लड़ी थी।
मम्मा, तू तो बस मेरी हैं।

तू मेरे लिए क्या क्या नही करी थी ,
लंच-बॉक्स में खीर, कभी चीनी की रोटी पड़ी थी।
मम्मा, तू तो बस मेरी हैं।

बड़े भैया के लिए फटाखे, मेरे लिए फूलझरी थी,
एस लिखा था उसपे, जब पहली स्वेटर बनी थी।
मम्मा, तू तो बस मेरी हैं।

अनजाने में ही मैंने प्रसाद थोड़ी सी चखी थी ,
तब क्या पता था, तू मेरे ही लिए सही थी।
मम्मा, तू तो बस मेरी हैं।


Friday, April 2, 2010

फुर्सत है क्या?

the first line of this poem is written by my bhaiya n i hav just completed it. it deals with all the childish thoughts that i imagine most of the times............

कभी फुर्सत हो तो बताना,
हम नीले गगन में जायेंगे।
रेनबो होगा हाथो में,
हम रस्सी कूद के आयेंगे।

धरती दिखेगी किल्कारिया मारते,
सूरज चाचू की रौशनी में,
हम चिडियो के संग
मिलकर, खूब गुन्गुनायेगे।

शांझ अधिक हो जाये तो,
हम सितारों से रौशनी चुरायेंगे।
नाचेंगे, गायेंगे, चिल्लायेंगे,
पर मम्मी को नही बताएँगे।

बादल भी हैं बहुत यहाँ।
इनके संग मिलकार
पहले छुपम- छुपाई खेलेंगे
फिर खूब उधम मचाएंगे।