Sunday, August 22, 2010

JINDAGI...............THE OTHER SIDE

खुशिओ की खाक,
कशमकश की बू,
यद्यपि की आदत.
अनंत का न कोई अंत अंत .

सताए...... कितनी रे जिंदगी .

आँहो में जलन,
साँसों में चुभन.
दिमाग में फंसी चिंगारी,
आँखों में जब्त स्याही स्याही.

भुनाए.... कितनी रे जिंदगी.

सन्नाटे में कैद स्वप्न.
सख्त होती हर डगर.
कोड़े खाते हुए दिन.
ले जाये नित कुछ छीन छीन.

ले जाये.......कितनी रे जिंदगी.

दम तोड़ता सूरज .
आजाद होता अंधकार . 
बौराया हुआ सन्नाटा,
टीस मारती हर कसक कसक.

भरमाये......कितनी रे जिंदगी.